सिन्धु - सरस्वती सभ्यता में अंगूठियों का प्रयोग !!!

आज इस लेख में हम सिंधु सरस्वती सभ्यता में अंगुठियों के प्रयोग के बारे में जानेगें। क्योंकि कुछ लोगों का मानना है कि अंगुठियों का प्रचलन भारत में मौर्यकाल से पहले नहीं था। हालांकि संस्कृत साहित्यों में अंगूठी के लिए मुद्रिका, अङ्गुलिय जैसे शब्दों का प्रयोग देखने को मिलता है। वाल्मीकि रामायण में भी अंगूठी का उल्लेख प्राप्त होता है - "रामनामाङ्कित चेदं पश्य देव्यङ्गुलीयकम् " - वा. रा. सुन्दरकाण्ड, सर्ग ३६, श्लोक २ इससे अंगूठी प्रचलन की प्राचीनता ज्ञात होती है किंतु हम यहां पुरातात्विक प्रमाण भी देखेंगे, जिससे यह पूर्ण रुपेण सिद्ध हो जायेगा कि भारत में अंगूठियों का प्रयोग मौर्यकाल से भी पूर्व सिंधु सरस्वती सभ्यता (३००० ईसापूर्व से २००० ईसापूर्व) के दौरान भी होता था। यह अंगुठियां सोने, चांदी, ताम्बे की बनती थी। सिंधु सरस्वती सभ्यता के विभिन्न स्थलों से हमें तीनों धातुओं की बनी अंगुठियां प्राप्त हुई है। (1) सोने से बनी अंगुठियां - हरियाणा के भिवानी खेरा के सिंधु सभ्यता के स्थल से सोनें की अनेकों अंगुठियां प्राप्त हुई थी। जिनमें से कुछ अंगुठियों पर त्रिफुली जैसी कलाकृति है और...